अच्छा धर्मशास्त्र पर्याप्त नहीं है
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मत्ती 23:23 हे कपटी शास्त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय; तुम पोदीने और सौंफ और जीरे का दसवां अंश देते हो, परन्तु तुम ने व्यवस्था की गम्भीर बातों को अर्थात न्याय, और दया, और विश्वास को छोड़ दिया है; चाहिये था कि इन्हें भी करते रहते, और उन्हें भी न छोड़ते।
अलग-अलग लोग यीशु के सुसमाचार को अलग-अलग तरीकों से समझते हैं। मैं, मैं एक साधारण आदमी हूं। मैं बाइबल खोलता हूं, उसे पढ़ता हूं और ईश्वर जो कहता है उस पर विश्वास करता हूं, तब भी जब वह आजकल के नये विचारों के साथ संघर्ष करता है – जो वह अक्सर करता है।
स्वयं को धर्मशास्त्री कहना मुझे थोड़ा दिखावा लगता है। मैं उतना बुद्धिमान नहीं हूं. लेकिन मुझे परमेश्वर के वचन से प्रेम है। मैं गहराई में जाना चाहता हूं, यीशु के करीब आना चाहता हूं, उसे बेहतर रूप से जानना चाहता हूं, वह बनना चाहता हूं जो बनने के लिए,उसने मुझे बनाया है। यहाँ तक तो सब ठीक है…लेकिन एक खतरा भी है।
और वो ख़तरा ये है. हम धर्मशास्त्र के प्रति इतने भावुक हो जाते हैं कि सबसे महत्वपूर्ण बात को भूल कर अपनी धार्मिकता का ढिंढोरा पीटते हैं। वह महत्वपूर्ण बात है – प्यार। क्योंकि जितना गहराई से हम परमेश्वर के वचन में जाते हैं, चारों तरफ फैली बुराई उतनी ही अधिक स्पष्ट होती जाती है।
यीशु के समय में भी ऐसे लोग थे। वास्तव में एक संपूर्ण धार्मिक संप्रदाय; वे लोग जिन्होंने अंततः उसकी हत्या की साजिश रची। ऐसे लोगों से यीशु ने कहा :
मत्ती 23:23 हे कपटी शास्त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय; तुम पोदीने और सौंफ और जीरे का दसवां अंश देते हो, परन्तु तुम ने व्यवस्था की गम्भीर बातों को अर्थात न्याय, और दया, और विश्वास को छोड़ दिया है; चाहिये था कि इन्हें भी करते रहते, और उन्हें भी न छोड़ते।
इन लोगों ने मूसा के कानून का पालन करने के प्रयास में हास्यास्पद नियम बनाए। लेकिन उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण बात को नजरअंदाज कर दिया। न्याय, दया और विश्वासयोग्यता के माध्यम से प्रेम का प्रदर्शन करना ।
उस जाल में ना फंसे ।. जैसा कि किसी ने एक बार कहा था, अच्छा धर्मशास्त्र घ्रणा से भरे हृदय की भरपाई नहीं कर सकता।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए…।