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दीर्घ अविवाहितता (2)

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1 कुरिन्थियों 7:32-38 सो मैं यह चाहता हूं, कि तुम्हें चिन्ता न हो: अविवाहित पुरूष प्रभु की बातों की चिन्ता में रहता है, कि प्रभु को क्योंकर प्रसन्न रखे।
33 परन्तु विवाहित मनुष्य संसार की बातों की चिन्ता में रहता है, कि अपनी पत्नी को किस रीति से प्रसन्न रखे।
34 विवाहिता और अविवाहिता में भी भेद है: अविवाहिता प्रभु की चिन्ता में रहती है, कि वह देह और आत्मा दोनों में पवित्र हो, परन्तु विवाहिता संसार की चिन्ता में रहती है, कि अपने पति को प्रसन्न रखे।
35 यह बात तुम्हारे ही लाभ के लिये कहता हूं, न कि तुम्हें फंसाने के लिये, वरन इसलिये कि जैसा सोहता है, वैसा ही किया जाए; कि तुम एक चित्त होकर प्रभु की सेवा में लगे रहो।
जो अविवाहित हैं उन्हें नीची दृष्टि से न देखें। उनकी बुलाहट कहीं अधिक ऊँची है!

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दीर्घ अविवाहितता (2)


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आज मैं उन लोगों के बारे में एक गहरी बात आपके साथ बांटना चाहता हूं जो अविवाहित रहते हैं। अब, शायद आप वो व्यक्ति ना हों, लेकिन निस्संदेह आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते होंगे जो है। यदि ऐसा है, तो शायद आप आज का संदेश उनके साथ बाँट सकते हैं।

चाहे हम इसे स्वीकार करें या न करें, जो लोग विवाहित हैं उनकी प्रवृत्ति उन लोगों को नीची  दृष्टि से देखने की होती है जो विवाहित नहीं हैं। क्या आपने कभी खुद को यह सोचते हुए पाया है, की उसके साथ क्या बात है; या वह अभी तक अकेली क्यों है?

उदाहरण के लिए, जापान में एक अकेली महिला के लिए अपमानजनक शब्द “बासी क्रिसमस केक” है। लेकिन हम यहां केवल जापानियों पर उंगली नहीं उठा रहे हैं, ऐसे शब्दों का प्रयोग आपको हर देश और संस्कृति में मिल जाएगा। यह आश्चर्य करने की प्रवृत्ति कि कोई व्यक्ति अकेला क्यों है, हर जगह होती है। और मैं चाहता हूँ की आज आप इस प्रवृत्ति के बारे में सोचें। 

1 कुरिन्थियों 7:32-38 सो मैं यह चाहता हूं, कि तुम्हें चिन्ता न हो: अविवाहित पुरूष प्रभु की बातों की चिन्ता में रहता है, कि प्रभु को क्योंकर प्रसन्न रखे।
33 परन्तु विवाहित मनुष्य संसार की बातों की चिन्ता में रहता है, कि अपनी पत्नी को किस रीति से प्रसन्न रखे।
34 विवाहिता और अविवाहिता में भी भेद है: अविवाहिता प्रभु की चिन्ता में रहती है, कि वह देह और आत्मा दोनों में पवित्र हो, परन्तु विवाहिता संसार की चिन्ता में रहती है, कि अपने पति को प्रसन्न रखे।
35 यह बात तुम्हारे ही लाभ के लिये कहता हूं, न कि तुम्हें फंसाने के लिये, वरन इसलिये कि जैसा सोहता है, वैसा ही किया जाए; कि तुम एक चित्त होकर प्रभु की सेवा में लगे रहो।
जो अविवाहित हैं उन्हें नीची दृष्टि से न देखें। उनकी बुलाहट कहीं अधिक ऊँची है!

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज … आपके लिए… ।


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