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ईश्वर वास्तव में आपसे क्या चाहता है

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Amos 5:21-24 मैं तुम्हारे पर्वों से बैर रखता, और उन्हें निकम्मा जानता हूं, और तुम्हारी महासभाओं से मैं प्रसन्न नहीं। 22 चाहे तुम मेरे लिये होमबलि और अन्नबलि चढ़ाओ, तौभी मैं प्रसन्न न हूंगा, और तुम्हारे पाले हुए पशुओं के मेलबलियों की ओर न ताकूंगा। 23 अपने गीतों का कोलाहल मुझ से दूर करो; तुम्हारी सारंगियों का सुर मैं न सुनूंगा। 24 परन्तु न्याय को नदी की नाईं, और धर्म महानद की नाईं बहने दो।

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ईश्वर वास्तव में आपसे क्या चाहता है


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किसी भी चीज़ की तरह, मसीही धर्म को एक लाभदायक व्यवसाय में बदला जा सकता है। आज कुछ चर्चों की संपत्ति आश्चर्यजनक है। और आपके और मेरे जैसे सरल परमेश्वर का -भय मानने वाले लोगों के लिए इन सबमें फँस जाना आसान है।

यह सुनने में थोड़ा कठोर लगता है, है ना? लेकिन फिर भी, दुनिया भर में कई चर्च, खरबों डॉलर की अचल संपत्तियों पर बैठे हुए है, जिनमें से कुछ का उपयोग अच्छी तरह से नहीं किया जा रहा है। और स्पष्ट रूप से, सोशल मीडिया ,  इस सम्मेलन, उस प्रदर्शन, परमेश्वर का नाम पर धन इकठ्ठा करने वाले  विज्ञापनों से भरा हुआ है…।

निःसंदेह चर्च को परमेश्वर का कार्य करने के लिए संपत्ति की आवश्यकता है। निश्चित रूप से, परमेश्वर के वचन का अध्ययन करने और उसकी आराधना करने के लिए दुनिया भर में बैठकें होनी चाहिए। लेकिन आप आसानी से किसी काम की तरह , धर्म के आत्म संतुष्टि देने वाले  व्यवसाय में फंस सकते हैं और यह भूल सकते हैं कि परमेश्वर  वास्तव में क्या चाहते हैं।

तो, वह वास्तव में क्या चाहता है? इसे परमेश्वर के वचन में देखें। :

आमोस 5:21-24 मैं तुम्हारे पर्वों से बैर रखता, और उन्हें निकम्मा जानता हूं, और तुम्हारी महासभाओं से मैं प्रसन्न नहीं।
22 चाहे तुम मेरे लिये होमबलि और अन्नबलि चढ़ाओ, तौभी मैं प्रसन्न न हूंगा, और तुम्हारे पाले हुए पशुओं के मेलबलियों की ओर न ताकूंगा।
23 अपने गीतों का कोलाहल मुझ से दूर करो; तुम्हारी सारंगियों का सुर मैं न सुनूंगा।
24 परन्तु न्याय को नदी की नाईं, और धर्म महानद की नाईं बहने दो।

यह सब इतना मुश्किल नहीं है. आप जो भी हैं, पूरे दिल से परमेश्वर की आराधना करें। न्यायपूर्ण और निष्पक्ष रहकर प्रेमपूर्वक  अपने  विश्वास का परिचय दें। और इसके अलावा किसी और  झमेले में ना पड़ें।

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके  लिए…।