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सच्चाई के प्रति अंधापन

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यूहन्ना 8:31,32 तब यीशु ने उन यहूदियों से जिन्होंने उस पर विश्‍वास किया था, कहा, “यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे। 32तुम सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।”

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सच्चाई के प्रति अंधापन


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क्या आपने कभी किसी चीज को इतनी बुरी तरह से सच करना चाहा है, कि आप उसे पूरा करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं? ऐसा अक्सर होता है, और हम खुद जोखिम उठाते हुए उस रास्ते पर चल पड़ते हैं।

डॉ विलियम मैकब्राइड एक प्रमुख ऑस्ट्रेलियाई प्रसूति विशेषज्ञ थे, जिन्होंने 1961 में यह पता लगाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी कि गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली दवा थैलिडोमाइड, अजन्मे बच्चों में  गंभीर जन्म दोष पैदा कर रही थी। कितना बढ़िया काम। लेकिन 1989 में उन्हें अपने चिकित्सा अनुसंधान के परिणामों के झूठे आँकड़े देने के आरोप में वैज्ञानिक धोखाधड़ी का दोषी पाया गया।

मेडिकल ट्रिब्यूनल ने पाया, कि “डॉ मैकब्राइड का अपने धोखे को छिपाने का प्रयास … सबसे निंदनीय प्रकार की एक गंभीर परिस्थिति है।” ऊंचाई से कैसी गिरावट। यह कैसे हो जाता है? ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम चाहते हैं कि कुछ हो, और जब वह नहीं होता है, तो हम तथ्यों की अनदेखी कर उसे सच बनाने पर तुल जाते हैं।

और आप देखते हैं कि वर्तमान समय में ऐसा बार-बार हो रहा है, विशेष रूप से मैं कह सकता हूं कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान COVID महामारी के चलते, कुछ लोगों की हठधर्मिता ने सच्चाई को अस्पष्ट कर दिया है और इस कारण कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। बेवजह।

समस्या तब उत्पन्न होती है जब अन्यथा अत्यधिक बुद्धिमान लोग उन परिणामों को साबित करने के लिए एक तर्कहीन इच्छा से प्रेरित होते हैं, जो वे विश्वास करना चाहते हैं, इसके बावजूद कि आँकड़े क्या कहते हैं।

यीशु ने, यद्यपि बिलकुल भिन्न संदर्भ में, एक नया सिद्धांत सामने रखा  :

यूहन्ना 8:31,32 तब यीशु ने उन यहूदियों से जिन्होंने उस पर विश्‍वास किया था, कहा, “यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे। 32तुम सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।” 

सिद्धांत क्या है? इससे पहले कि वह आपको मुक्त कर सके, आपको सच्चाई जाननी होगी। तथ्यों की अनदेखी न करें।

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए..।