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अपनी मर्त्यु का हुक्मनामा स्वयं पढ़ना

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मत्ती 6:12-15 ‘और जिस प्रकार हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर। ‘और हमें परीक्षा में न ला, परन्तु बुराई से बचा; (क्योंकि राज्य और पराक्रम और महिमा सदा तेरे ही हैं।’ आमीन।) “इसलिये यदि तुम मनुष्य के अपराध क्षमा करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा। और यदि तुम मनुष्यों के अपराध क्षमा न करोगे, तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा न करेगा।*

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अपनी मर्त्यु का हुक्मनामा स्वयं पढ़ना


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हम इस सप्ताह अपने जीवन में आने वाले कठिन लोगों के साथ, परमेश्वर के ज्ञान और प्रेम के साथ व्यवहार करने के बारे में बात कर रहे हैं। यह आसान नहीं है, और हम क्षमा के बारे में बात किए बिना मुश्किल लोगों के बारे में बात नहीं कर सकते।

मैं सोचता हूँ कि लोगों को क्षमा करना सबसे कठिन काम है, जिसे करने के लिए यीशु हमसे कहते हैं। और यह स्पष्ट है कि , यह अनुरोध नहीं है। यह एक आदेश है। प्रभु की प्रार्थना के अंत में, जिससे आप निस्संदेह परिचित होंगे , वह हमें इस तरह प्रार्थना करना सिखाता है:

मत्ती 6:12 “और जिस प्रकार हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर।


यह सुनने में बहुत अच्छा लगता है, हालाँकि करने में उतना ही मुश्किल है। येशु ये जानते हैं इसीलिए उन्हें इसको विस्तार पूर्वक समझने की आवश्यकता महसूस होती है, ताकि हम इसे भूल ना जायें ।

मत्ती 6:14,15 “इसलिये यदि तुम मनुष्य के अपराध क्षमा करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा। 15और यदि तुम मनुष्यों के अपराध क्षमा न करोगे, तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा न करेगा।*

वह बड़ी गंभीर बात है। वह यहां शब्दों को घूमा फिरा कर नहीं कहते। चार्ल्स स्पर्जन इसे कुछ इस तरह से कहा है : जब तक आप दूसरों को क्षमा नहीं करते,तो हर बार जब आप प्रभु की प्रार्थना पढ़ते हैं,  आप अपनी मृत्यु का हुक्म नामा स्वयं पढ़ते हैं।

तो इस आधार पर क्या मैं आपसे यह कठिन प्रश्न पूछ सकता हूँ? आपके हृदय में कौन-सी क्षमा छिपी है, कि यदि आप इसी क्षण मर जायें, तो वह आपका  उद्धार छीन लेगी? वह कौन है जिसके प्रति आप अभी भी दुर्भावना रखते हैं, जिससे आप अभी भी बदला लेना चाहते हैं, जिसके सिर पर आप अब भी न्याय की कुल्हाड़ी गिरना चाहते हैं, क्योंकि जो कुछ उन्होंने आप के साथ किया है?

यह सोचने के लिए आज का दिन है। क्योंकि जब तक आप दूसरों को माफ नहीं करेंगे, परमेश्वर भी आपको माफ नहीं करेंगे।

यह उसका ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए…।